वाकई कभी कभी अनजाने सफ़र मे भीं एक अनजाना सा रिश्ता कितना अज़ीज़ बन जाता है। वाकई कभी कभी अनजाने सफ़र मे भीं एक अनजाना सा रिश्ता कितना अज़ीज़ बन जाता है।
पर्स खोने के बाद मेट्रो स्टेशन पर राजेश की मुलाकात एक अनजान व्यक्ति से हुई। उसने उसको अपनी मुश्कि... पर्स खोने के बाद मेट्रो स्टेशन पर राजेश की मुलाकात एक अनजान व्यक्ति से हुई। उ...
उन बातों की यादें ही अब मेरे अंदर कुछ चाट रही है उन बातों की यादें ही अब मेरे अंदर कुछ चाट रही है
माँ का कहना था कि पहले कुछ महीने तो तुम लोगों को मेरा साथ रहना अच्छा लगेगा लेकिन धीरे-धीरे रिश्तों म... माँ का कहना था कि पहले कुछ महीने तो तुम लोगों को मेरा साथ रहना अच्छा लगेगा लेकिन...
वे सदा मेरे साथ हैं - मेरी स्मृतियों में ! मेरे कर्मों में ! वे सदा मेरे साथ हैं - मेरी स्मृतियों में ! मेरे कर्मों में !
हम लोग अपनी जबान दे चुके है। अब यह हमारी इज्जत का सवाल है। हम लोग अपनी जबान दे चुके है। अब यह हमारी इज्जत का सवाल है।